यश, उसका ख्याल रखना।

बड़ी बहन कई साल बाद मुझे मिली थी। 2साल उनके साथ रहा, वो बिलकुल वैसी थी जैसी मैं चाहता था। दोस्त भी थी डांटती भी थी समझाती भी थी मदद भी करती थी प्यार भी करती थी ख्याल रखती थी.....

ये लिखते वक्त सबसे बड़ा दर्द "थी"लिखने में हो रहा है, काश ये "थी" शब्द मेरे जिंदगी का "है" हो जाता हमेशा के लिए।

काश मेरी जिंदगी से ये "काश" हट जाता हमेशा के लिए....

पर वो मेरी दीदी होने के साथ साथ की और की भी बड़ी बहन थी और उसे ये पसंद नही था की मुझे ये सब उसकी बहन से मिले। उसे लगा की मैं उसका हक छीन रहा हूँ।

और इस कारण वह चिढने लगा मुझसे भी और दीदी से भी। मुझसे वो कितना भी चिढ़े मुझे मंजूर था.... पर मैं उन दोनों बिच में नही आना चाहता था। सो मुझे ही हटना पड़ा। बहुत कठिन था।

घर में आने की ख़ुशी वही थी बस अब छुपाना पड़ता था,
दीदी के सवाल का रुखा सा उत्तर दे के निकल जाना पड़ता था,
दीदी सामने बैठी हो पर  उनको देख के मुस्कुरा भी नही सकता था,
अक्सर अब दीदी के सोने के बाद घर आता था क्युकी बहुत कठिन था ये सब
जिस चीज़ को मैं इतना चाहता था सहज ही वो मेरे पास आ गई और मुझे अपने हाथ से उसे खोना पड़ा। वो रोज मेरे सामने रहती है और रोज मुझे ये सब करना पड़ता है, मैं ये किसी को बता भी नहीं सकता था और छुपाना आसन नही है।
कई बार कई बात मुह में आ जाती थी पर फिर एक ख्याल और लम्बा अवसाद।

पर ये सब जरुरी लगा मुझे... सो मैंने किया।
अब यश तुझसे एक ही प्रार्थना है भाई वो तेरी बहन है पर मेरी भी बहन है प्लीज़ ख्याल रखना उसका। वरना मुझे बहुत बुरा लगेगा।

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