10वी पास हुए अभी ज्यादा दिन नही हुए थे,और ये समय घर परिवार से मनमुटाव का होता है, और एसे समय में एक दोस्त मिला। उसने बार बार ,हर दिन एक बात मेरे दिमाग में भरने का काम किया की पिताजी मतलब एटीएम मशीन , और माताजी मतलब मेस जहाँ से खाना मिलता है।
10वी तक मैं बहुत ही धार्मिक किस्म का लड़का था। मेरा आचरण सोच बहुत अच्छी थी, प्रतिदिन अपने समय का एक बड़ा हिस्सा धर्म क्रियाओ में जाता था। मंदिर जाना, रोज पूजा करना इत्यादि। पर अब तो मुझे दोस्त मिल गया था। अब मेरी सोच बदल रही थी, धर्म ध्यान पूजा पाठ मुझे फालतू लगने लगा था। इसी बिच 12वी पास हो गया।
अब इस साल मुझे मेरे पसंद के महाविद्यालय में प्रवेश नही मिला।(और बाद में भी मुझे मेरी पसंद बदलनी पड़ी)
अब मैंने एक साल तैयारी करने की सोची। इस साल मेरे पास सोचने के लिए बहुत समय था क्युकी मेरे पास काम कुछ नही था, और मेरा खाली दिमाग शैतान का घर हो गया। अब मैं धर्म को ले कर तर्क कुतर्क करना शुरू कर दिया था। अब मेरे लिए धर्म का मतलब गरीब को रोटी खिलाना था। किसी दिन वृधाश्रम में जा के सेवा करना था। अब मुझे मेरी सोच पर गर्वहोता था और घर वालो की सोच पसंद नही आती थी।
इसी समय विवेकान्द जी की बात पढने में आई और बस अब सच में मेरे लिए मंदिर मिठाई चढ़ाना पाप हो गया। ख़ुशी है मुझे इन सब बातो से की कम से कम इस बिच मैंने खुद से बात करना सिख लिया था मैंने खुद की सोच, खुद की एक विचारधारा बनानी शुरू की थी। और इन सब में सबसे अच्छी बात यही थी। इसी बिच मेरे engg में प्रवेश के दिन आ गये। और एक engg के महाविद्यालय में मेरा प्रवेश शुरू हुआ।
पहले दो साल हंसी मस्ती पढाई लिखाई में निकल गये। सवेरे दोपहर शाम और रात अब सब कुछ दोस्तों के साथ होता था।तीसरा साल में मैं कुछ रिश्तेदारों के साथ रहता था। अब दोस्तों से मिलना कम हो गया और खुद के लिए समय मिलना फिर शुरू हुआ।
अब पहले से कुछ ज्यादा परिपक्वता आने लगी थी। अब एक दिन मैंने सोचा की यार गरीब को खाना खिलाना अच्छी बात है, और वृधाश्रम में जा के सेवा करना धर्म है, ये बात समझ आ गई है पर अमल में नही।
उस दिन चिंतन चला और एक निर्णय लिया कि उस दिन मंदिर जाना और पूजा पाठ करना बंद कर दूंगा जिस दिन से मैं रोज वृधाश्रम जाना और गरीबो की सेवा शुरू कर दूंगा ।
अफ़सोस इस बात का है उस दिन के बाद से आज तक सिर्फ एक बार वृधाश्रम गया हूँ, और किसी दिन गरीब को खाना खिलाया ऐसा याद नही।
अब कुछ दिनों बाद दिमाग में एक बात आई की क्यों मेरे दिमाग में वृधाश्रम और गरीब आये? क्यों उनकी सेवा और उनकी भूख के बारे में सोचा मैंने?
इस बात को आप लोग भी सोचिये अगर ये बात आपके मन में भी है तो...
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