१८/१२/२०१३ को मैं अपने परिवारजनों दादा, दादी, चाची, भैया लब्धि , समृद्धि और वंदन के साथ शंखेश्वर के लिए निकला हूँ। हमारे साथ दादी के भैया भाभी भी है।
१९ को सबेरे हम विरामगाँव पहुचे वहां गुजरात की राज्य परिवहन के कारण बहुत असुविधा हुई।
पर हम शंखेश्वर पहुच गए।
वहा साध्वी श्री हंसकीर्ति महाराज की ३००वीं(१००+१००+१००) के परना निमित्त पंचान्हिका महोत्सव था।
महोत्सव में आनंद बढ़िया आया। ४दिन मज़े में बीत गए आज हम वापस घर जा रहे है।
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