जब किसी दिन काम वाली बाई ना आये

एक संदेशा चौंका जाए ,नींद आँखों से ऐसे भगा जाए                                                                  

जब किसी दिन काम वाली न आये......

मूवी ,शौप्पिंग और मस्ती के अरमान सारे पानी में  बह जाए
पति के साथ लौंग ड्राइव जाने  के सपने अधूरे  ही रह जाए
केंडल लाइट डिनर से मैन्यु घूम कर दाल चावल पर आ जाए

जब किसी दिन काम वाली न आये........
पूरे महीने की भड़ास पति को हेल्प न करने में निकल जाए
बच्चो पर गुस्सा उनकी  बिखरी किताबें , जूते देख उतर जाए
काम देख देख कुछ समझ न आये ,हालत खराब होती जाए

जब किसी दिन काम वाली न आये .......

रोमांस की ऐसी तैसी कर पति को केवल ब्रेड,बट्टर  खिलाये
बच्चो को भी  दुलार कर ,मुनहार कर मैग्गी खाने को मनाये
जींस  टॉप  से औकात नाइटी पर  एप्रन  बाँधने पर आ जाए

जब किसी दिन काम  वाली न आये .......

  उस इंसान की खैर नहीं जो बाहर दरवाज़े पर बैल कर जाए
  फ़ोन उठाया भी तोह वक़्त बस बाई को कोसने में निकल जाए
  हमसे ज्यादा कौन है दुखी इस  दुनिया में यह  सब को जतलाये

जब किसी दिन काम वाली न आये ........

  हस्ती घर की महारानी और राजरानी से नौकरानी पर आ जाए
  सारी अदाएं बर्तन, सफाई वाली की झाड़ू में सिमट आये
  वो हर काम के पैसे ले छूटी कर घर बैठी ऐश फरमाए
  हम सारे काम करके भी दो शब्द शाबाशी के भी न पाए

जब किसी दिन काम  वाली न आये......

थकावट से चूर बदन से हर पल आह सी निकलती जाए
खुद से ही लडती खुद से ही जूझती दिल में बाई को कोसती जाए
कल लुंगी खबर ,कर दूंगी छूटी ये खुद से वाएदा करती जाए

जब किसी दिन काम वाली न आये ......

कल आ जाए बाई ये सोच कर रात भर प्रार्थना करती जाए
सुबह उसके आने पैर गुस्सा भूल उससे खूब खिलाये खूब पिलाए
कल तक जो कोसती थी जुबां आज वो मिश्री सी घुल घुल जाए

जब अगले दिन काम वाली आ जाए .

कोई टिप्पणी नहीं: