बदला मैं था...

आज सबेरे जब उठा तो सब बदला बदला सा नज़र आया। सूरज की किरणे एसी लग रही थी मानो मस्ती कर रही हों। रूम बिस्तर अलमारी घर गाड़ी सब कुछ बदल से गये थे, ऐसा लग रहा की एक नयी दुनिया में पहुँच गया हूं जो दिखने में तो हु बहु वैसी ही है पर यहाँ फीलिंग कुछ और ही है।

फिर मैंने बहुत सोचा की ये सब एसे क्यों हो गये? और आखिर में मैंने पाया बदले ये सब नही थे बदला मैं था मेरा नजरिया बदला था।

बदला मैं था.....

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