रज़ा आपो हवे दादा

भावो से पूर्ण एक बढ़िया भक्ति गीत

रज़ा आपो हवे अमने अमारी बात थाई पूरी (२)
अमारी बात थाई पूरी (२)
अधूरी बात छे तो ऐ आ मुलाकात थई पूरी (२)
अमारी बात थाई पूरी (२)

कर्या का मन तमे ऐवा अमे तारा बनी बैठा (२)
तमारी प्रीत माँ पागल अमे घेला बनी बैठा (२)
तमे आधार थई बैठा अमे लाचार थाई बैठा (२)
अमारी बात थाई पूरी (२)

अमारा दर्द नी तमने जरा जो कल्पना आवे (२)
कसम थी आपना दिलथी सदा सौ सौ दुआ आवे (२)
तमे मोक्षे जय बैठा अमे संसार लई बैठा (२)
अमारी बात थाई पूरी (२)


जवानु मरू मन नथी अमारी आ मज़बूरी (२)
अमारी बात थाई पूरी (२)

बल्क एसएमएस Bulk SMS

Why Bulk SMS

Web to SMS service enables you to send SMS to individuals and groups using the Bulk SMS Root web based SMS messaging platform.
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सिविल वाले छात्रों के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट Project Report for students in Civil Engineering

क्या आप सिविल इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के छात्र हैं?
यदि हाँ तो आपको भी प्रोजेक्ट रिपोर्ट सबमिट करना है|
पर हम सभी को सबमिशन के ४ दिन पहले ही याद आता है!
खैर अब चिंता की कोई बात नही, डाउनलोड करो ये रिपोर्ट, नाम बदलो सीधे सबमिट करो...

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सिविल इंजिनियर के लिए उपयोगी कोड्स Useful Codes for Civil Engineer

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वनी.... हर बार आता हूँ और हर बार दुःख पाता हूँ

शिवा के मौंज के बाद कई दिनों के बाद वनी जाने का मौका मिला। वनी में नाना नानी मामा मामी बड़ी बहन रिद्धि सिद्धि और छोटा भाई यश रहता है।
ऐसे तो सब लोग बहुत अच्छे है और इन लोगो से मिल के ख़ुशी होती है पर फिर भी इन लोगो से मिलने में मुझे हिचकिचाहट होती है क्युकी इन लोगो को देख मुझे मेरे जीवन की कमी याद आ जाती है और जितनी ख़ुशी इन सबसे मिल के होती है उससे ज्यादा मुझे ये कमी दर्द दे जाती है।
बड़ी बहन..... इस रिश्ते की अहमियत मुझसे से ज्यादा शायद ही कोई समझता होगा। कहते है किसी चीज़ की अहमियत तब समझ आती है जब वो अपने पास ना हो, पर किसी चीज़ की कमी का दर्द तब होता है जब वो चीज़ किसी और के पास हो और वो आपके सामने दिन रात 24घंटे रहे।
बड़ी बहन शायद एक ही चीज़ है जो भगवान् ने मुझे नही दी। और ये चीज़ भी ऐसी है की इसको पाया नही जा सकता ये सिर्फ मिल सकती है।
आज फिर रिद्धि जीजी सिद्धि जीजी और यश को देख के मुझे बहुत कमी महसूस हो रही है की काश मेरे पास भी बड़ी बहन होती!! मैंने तो सारे सपने, हर स्थिति में मैं उनके साथ कैसे पेश आता कब उनके साथ मस्ती करता और कब उनकी गोद में रोता , कब उनके साथ घूमता और कब उनके साथ खाना खाता, कब मैं रूठता और वो मुझे मानती या कब उनके दुःख से मुझे भी पीड़ा होती सब सोच कर रखा है।
यश भाई तुझसे बहुत इर्ष्या है मुझे तेरे पास इतनी अच्छी बहन है और तू उनकी अहमियत नही समझता। ये भी उतना ही सच है जिसके पास जो चीज़ होती है उसको उसकी अहमियत नही समझती। भाई पर जब तेरे कारण उनको दुःख होता है मैं भी रोता हूँ भाई और उन आंसू को छुपाना कितना कठिन है ये तुझे नही पता भाई....
हर बार वनी से जाते समय मैं सोच लेता हूँ की अगली बार वनी आने से किसी तरह बचना है पर रिश्ता भी इतना गहरा है की कुछ कर नही पाता हर बार आता हु और हर बार दुःख पाता हूँ....

एक लड़की... एक दोस्त और एक बहन

समकित.... समकित....
नागपुर की सबुह, और अभी तो सिर्फ 7ही बजे हैं... पर अब शिवा उठा रहा है उठाना तो पड़ेगा ही... मैं भी उठा और गणेश भी... अब ये क्या अभी तो हम उठ रहे हैं और अब ये हमको तैयार होने बोल रहा...
अब आश्चर्य इस बात का है की हम रात को 3.45 को हम सोये थे तो ये शिवा इतना जल्दी उठा कैसे?
ओह्ह्ह तभी गणेश को याद आया आज तो वो आने वाली है....
अब हमें भी समझ गया की अब कोई बहाना काम नही आएगा सो हम उठ भी गये और ठीक ठाक हो गये।
चलो अभी हम संभले ही थे की वो मोहतरमा भी पहुँच गई शिवा ने मैडम का परिचय कराया, हमने उनको hi बोला उनको और उन्होंने भी हमें  hi कहा। इससे ज्यादा कुछ कहने की कला हममे नही थी और ना वो मैडम अभी सहज थी।
अब रवि जीजाजी ने हम सब की ख़ामोशी को कम करने के लिए हम सबको को पोहे खिलाने ले गये
मैडम को पोहे पसंद नही थे पर जैसे दुल्हन शुरू शुरू में ससुराल में कुछ भी बोलने से हिचकती है वैसे ही ये भी कुछ बोल नही पाई।
पर फिर भी हमारी कला की कमी और असहजता के चलते 2 बज गये और हमने कुछ बात नही की। हम सब खाना खाने पहुचे तभी हमको एक कड़ी फटकार और नसीहत मिली की मेहमान नवाजी कैसे की जाती है, अब ये बताने की जरूरत नही है की ये महोदय कौन है, शायद शिवा ने इतने गुस्से में हमसे कभी निवेदन नही किया था।
खैर अब हमको मैडम के पास जाना तो था हम गये और कुछ ही देर में हमको एहसास हो गया की हमने बहुत ही क्वालिटी टाइम मिस कर दिया खैर अब इसको डांट का असर बोलो या मैडम के जलवे पहली बार मैंने किसी लड़की से इतनी बात की थी या ऐसा बोल सकते की किसी लड़की ने मुझसे पहली बार इतनी बात की थी। मैडम के पास कोई आप्शन तो था नही और जब मैडम शिवा की खास हो तो हमको भी डर नही था तो हमने भी उनको खूब पकाया(बोर किया)।
अब मेरी प्यारी दोस्त भव्या की बात करते हैं ऐसे तो भव्या 5 साल की है और मैं 24 पर जब हम दोनों साथ होते है तो वो कुछ समझदार हो जाती है और मुझ में कुछ बचपना आ जाता है।
शाम का समय था हम सब बैठे थे अचानक भव्या आई और मैडम जी (श्रीदेवी) अत्ता बोल दी, हमको अत्ता का मतलब मामी पता था, सब लोग मेरे तरफ घुर के देख रहे हैं और मैं शिवा को खोज रहा था, अगर वो सुन लेता तो फिर मुझे बिना क़त्ल किये क़त्ल के इलज़ाम में फांसी हो जाती...
खैर छोडो अभी मेरा काम था भव्या को रोकना, पर जैसा मैंने बताया वो थोड़ी समझदार हो जाती है वो भी समझ गई  की कुछ बात है अब तो उसके लिए ये खेल बनने वाला था और अब उसकी आवाज़ भी तेज हो जाती पर, डैमेज कंट्रोल के लिए मैंने उसको और श्रीदेवी का एक और नाम रख दिया दादी अम्मा...
ये नया नाम भव्या के लिए ज्यादा मजेदार था और हमारे लिए कम खतरनाक...
ये तो हुई भव्या की बात पर इसी बीच मैडम जी को आया हम पर गुस्सा... पर भगवान् का शुक्र है की ये नागपुर था यदि ये चेम्बूर होता तो मेरा हुक्का पानी बंद हो चूका होता। खैर अभी शिवा से दोस्ती काम आई और बिना की एक्शन के हम बरी हो गये। पर मैडम भी मौका चुकने वालो में से नही थी कोशिश बहुत की उन्होंने भी...
हाँ पर इसी चक्कर में दोस्ती हमारी भी कुछ और अच्छी हो गई।
अब रात में शिवा का मौंज ये ही वो कारण जिसके कारण हम सब मिले थे। मौंज में करने को हमारे पास भी कुछ नही था और मैडम के पास भी और हमें कंपनी देने के लिए जीजाजी तो थे। मैडम आज शिवा को अपनी खूबसूरती दिखाने के लिए सज धज के आई थी पर हमारे शिवा ने घास भी नही डाली उन पर, मैडम थोड़ी उदास हुई। और हमको फिर कुछ कमेंट करने का मौका मिल गया। आज सवेरे भी जीजाजी ने पोहे का ऑफर किया पर अब मैडम में इनडायरेक्टली ही सही मना करने का कॉन्फिडेंस आ गया था आखिर दो दो दोस्त कम देवर जो मिल गये थे। इसी तरह दिन ये दिन हंसी मजाक में निकल गया। आज शिवा सभी को बता रहा है की वो आज घर से बाहर नही निकल सकता और ये सुन के मैडम को टेंशन की यदि शिवा यदि घर से बाहर ही नही निकलेगा तो वो उनको स्टेशन छोड़ने कैसे जायेगा? मैडम अब धीरे से मुझको बोल रही है की तू कुछ कर... मैंने शिवा को एक बार बोला और वो बिना किसी ना नुकर के मान गया, इच्छा तो उसकी भी रही होगी बस वो दबा के रखा था, पर इसी बहाने मैडम शायद हमको कुछ काम का बन्दा समझी होगी।
शाम हुई और अब मेरे जाने का समय आ गया, मुझे मैडम को विदा करके जाने की बहुत इच्छा थी पर मुझे भी निकलना जरुरी था। और इस बात का खलल मुझे हमेशा रहेगा। अब हमारी बातचीत कभी कभी हो जाती है और ये मैडम अब हमको अपना छोटा भाई मानती है हालाँकि उम्र में ये अभी में हमसे ये बहुत छोटी हैं। पर फिर भी हम बड़े खुश की हमको भी एक बड़ी बहन मिल गई।
खैर दोस्ती का ये सिलसिला चलता ही रहेगा, भले हम लोग बहुत दूर रहते हैं पर अहसास नही होता।
तो ये थी एक लड़की, जो मेरी दोस्त बनी और बहन.....
और इस सब के लिए भगवान आपका खूब खूब धन्यवाद...
और जैसे आपने मुझे दोस्त कम ही दिए पर अच्छे, सच्चे और टिकाऊ दिए इस दोस्त को भी वैसे ही बनाये रखना।
Miss you sri