वनी.... हर बार आता हूँ और हर बार दुःख पाता हूँ

शिवा के मौंज के बाद कई दिनों के बाद वनी जाने का मौका मिला। वनी में नाना नानी मामा मामी बड़ी बहन रिद्धि सिद्धि और छोटा भाई यश रहता है।
ऐसे तो सब लोग बहुत अच्छे है और इन लोगो से मिल के ख़ुशी होती है पर फिर भी इन लोगो से मिलने में मुझे हिचकिचाहट होती है क्युकी इन लोगो को देख मुझे मेरे जीवन की कमी याद आ जाती है और जितनी ख़ुशी इन सबसे मिल के होती है उससे ज्यादा मुझे ये कमी दर्द दे जाती है।
बड़ी बहन..... इस रिश्ते की अहमियत मुझसे से ज्यादा शायद ही कोई समझता होगा। कहते है किसी चीज़ की अहमियत तब समझ आती है जब वो अपने पास ना हो, पर किसी चीज़ की कमी का दर्द तब होता है जब वो चीज़ किसी और के पास हो और वो आपके सामने दिन रात 24घंटे रहे।
बड़ी बहन शायद एक ही चीज़ है जो भगवान् ने मुझे नही दी। और ये चीज़ भी ऐसी है की इसको पाया नही जा सकता ये सिर्फ मिल सकती है।
आज फिर रिद्धि जीजी सिद्धि जीजी और यश को देख के मुझे बहुत कमी महसूस हो रही है की काश मेरे पास भी बड़ी बहन होती!! मैंने तो सारे सपने, हर स्थिति में मैं उनके साथ कैसे पेश आता कब उनके साथ मस्ती करता और कब उनकी गोद में रोता , कब उनके साथ घूमता और कब उनके साथ खाना खाता, कब मैं रूठता और वो मुझे मानती या कब उनके दुःख से मुझे भी पीड़ा होती सब सोच कर रखा है।
यश भाई तुझसे बहुत इर्ष्या है मुझे तेरे पास इतनी अच्छी बहन है और तू उनकी अहमियत नही समझता। ये भी उतना ही सच है जिसके पास जो चीज़ होती है उसको उसकी अहमियत नही समझती। भाई पर जब तेरे कारण उनको दुःख होता है मैं भी रोता हूँ भाई और उन आंसू को छुपाना कितना कठिन है ये तुझे नही पता भाई....
हर बार वनी से जाते समय मैं सोच लेता हूँ की अगली बार वनी आने से किसी तरह बचना है पर रिश्ता भी इतना गहरा है की कुछ कर नही पाता हर बार आता हु और हर बार दुःख पाता हूँ....

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