महाविद्यालय का एक नया रूप


राष्ट्रीय प्राधिकरण परिषद(NBANBANNBANBA), एक नाम जिसने सिर्फ ७ दिन (१ हफ्त्ते) में एक महाविद्यालय की पुरी रुपरेखा ही बदल दी.
और आज जब वो महाविद्यालय में आने वाले थे, तो शिक्षको, कर्मचारियों की चालढाल बदल चुकी थी, सब के सब सजे-धजे थे, जनोमानो किसी बारात में आयें हो. उनके चेहरे में अलग ही उत्साह था, साथ ही साथ एक डर भी था की यदि प्राधिकरण(Accridation) नही हुआ तो?? पर उनमे कामयाब होने का भरोसा भी था.
जहाँ महाविद्यालय में साफ-सफाई कोई माई-बाप नही होता, आज वह चमक रहा था, फर्श पर चेहरे का प्रतिबिम्ब साफ नज़र आ रहा था.
पिने का पानी रोज़ इतना गरम होता था की कोई उसमे चावल भी पका ले, पर आज के पानी की बात ही कुछ और थी काश वो ठंडा शीतल जल रोज हमारे भाग्य में होता...
जो शिक्षक रोज़ परीक्षा से रोंक लेने(Detain) की धमकी देते थे, आज हम उनके प्रिय शिष्य बन गए है.
पुस्तकालय जो अपेक्षाकृत, अन्य स्थानों से ठंडा होता हैं, पर आज तो कश्मीर की याद दिला रहा है.

खेर वो पल जब वो अधिकारी हमारा विचार जानने आये तो पता चला हम भी बदल गये है,
रोज महाविद्यालय को गली मरना जिनके लिए अनिवार्य था आज वो इसे स्वर्ग बता रहे है.
जिनके जीवन की सबसे बड़ी गलती यहाँ दाखिला लेना था, आज वो अपने आप को भाग्यशाली बता रहे है..

तो आज महाविद्यालय के साथ-साथ शिक्षक, कर्मचारी और हम भी बदल गए और इसके बदलाव निमित्त होने का सौभाग्य मिला है राष्ट्रीय प्राधिकरण परिषद...